Monday, January 18, 2016

ये सर्दी

ये सर्दी कैसी सर्दी,
ये सर्दी बैरन सर्दी,
लंबे नुकीले नाखूनों वाली,
भीतर तक चीर कर जाती सर्दी,
ओस की बूँदों को तब्दील कर,
कोहरे का जाल बिछाती सर्दी,
पारे को नीचे गिरा,
शीत लहर के बाण चलाती ये सर्दी,
ये सर्दी कैसी सर्दी,
ये सर्दी बैरन सर्दी||

अपने ही आपे मे,
इठलाती बलखाती सर्दी,
मतलब की इस दुनिया में,
आदमी को आदमी वैसे ही नही दिखता,
अपने संग धुन्ध और कोहरा लाकर,
परेशानी को और बढ़ाती सर्दी,
ये सर्दी कैसी सर्दी,
ये सर्दी बैरन सर्दी||

ये सर्दी कभी अच्छी हुआ करती थी,
जब हमारी सर्दी की छुट्टी हुआ करती थी,
सुबह आलू-पराठा के संग चाय हुआ करती थी,
दोपहर मे उजली धूप हुआ करती थी,
जब भी बाहर निकला करते थे,
स्वेटर, जैकेट, जूते,
सर पर टोपी हुआ करती थी,
माँ इतना ख्याल रखा करती थी,
कि आज बैरन लगने वाली सर्दी,
कभी हमारी दोस्त हुआ करती थी||

माँ के हाथ से बने,
गर्मा-गर्म खाने की याद दिलाती ये सर्दी,
घर की चार दीवारी की,
गर्माहट का मोल बताती ये सर्दी,
सूनेपन का, अकेलेपन का,
बेदर्दी से एहसास कराती ये सर्दी,
ये सर्दी कैसी सर्दी,
ये सर्दी बैरन सर्दी||

काम को बोझ बनाती ये सर्दी,
नींद से बेजाँ प्यार कराती ये सर्दी,
पानी से बैर कराती ये सर्दी,
काम पर जाते वक़्त,
रास्ते को जंग का मैदान बनाती ये सर्दी,
प्रकृति के कोमल निर्मल हृदय को,    
पत्थर सा कठोर बताती ये सर्दी,
ये सर्दी कैसी सर्दी,
ये सर्दी बैरन सर्दी||

7 comments:

  1. very nice.. ye bairan sardi (^_^)..

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  2. इस बार देर से आयी है शर्दी,
    और ठण्ड का अहम् एहसास दिला रही है ये शर्दी।

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