Tuesday, January 12, 2016

एक बार फिर

एक बार फिर दिल ज़ोर से धड़का है,
एक बार फिर साँस थमी है,
एक बार फिर नब्ज़ टटोली है,
एक बार फिर खुद को ज़िंदा पाया है,
एक बार फिर अपने हाथों की लकीरों को निहारा है,
एक बार फिर अपनी किस्मत को पुकारा है||

एक बार फिर आईने मे खुद को निहारा है,
एक बार फिर खुद से मुलाक़ात हुई है,
एक बार फिर कुछ पाने की तमन्ना है,
एक बार फिर कुछ खोने का डर है,
एक बार फिर फरियाद में हाथ उठा है,
एक बार फिर सजदे मे सर झुका है|

एक बार फिर शाम ने लालिमा छितराई है,
एक बार फिर सुबह ने उम्मीद जगाई है,
एक बार फिर फूलों ने खुशबू बिखराई है,
एक बार फिर चाँदनी ने ठंडक पहुँचाई है,
एक बार फिर रिश्तों में सच्चाई है,
एक बार फिर दुनिया में अच्छाई है,
एक बार फिर काली रात भागी है,
एक बार फिर नयी सुबह जागी है||

एक बार फिर लहू ने रफ़्तार पकड़ी है,
एक बार फिर कुछ कर गुजरने की मान मे आई है,
एक बार फिर जीने को आमादा हूँ,
एक बार फिर उम्मीद मे हूँ कि सवेरा होगा,
एक फिर उम्मीद में हूँ कि कल मेरा होगा||

5 comments:

  1. Bahot hi khubsurat, umda. Second wala stanza to real hai ekdum. Thanks for giving me new year resolution.

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  2. आज फिर भाई के लेख ने दिल जीता है ।

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  3. Ek baar Phir bhai ki Kavita ke Murid ho gaye
    Ek baar phir teri iss Prastuti se Rom Rom khil gaye

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